श्रेणियाँ श्री माँ के वचन

गुरु का मानव रूप

अगर तुम्हारे अन्दर श्रद्धा और विश्वास है, तो तुम गुरु के मानव रूप की पूजा नहीं करते बल्कि उन परम प्रभु को पूजते हो जो उनके द्वारा प्रकट होते हैं । परेशान मत होओ और जिस रास्ते से तुम्हें सहायता मिले उससे अपने-आपको पूरी तरह परम प्रभु को दे दो ।

 संदर्भ : माताजी के वचन (भाग – २) 

शेयर कीजिये

नए आलेख

अतिमानस का द्वार

केवल अपने लिए अतिमानस को प्राप्त करना मेरा अभिप्राय बिल्कुल नहीं है  - मैं अपने…

% दिन पहले

जल्दी सोना और जल्दी उठना

मधुर माँ , जल्दी सोना और जल्दी उठना क्यों ज्यादा अच्छा है ? सूर्यास्त के…

% दिन पहले

पाप का अस्तित्व

परम प्रभु के लिये पाप का अस्तित्व ही नहीं है - सभी दोष सच्ची अभिप्सा…

% दिन पहले

अभीप्सा की कमी

प्रश्न : जब साधक किसी अभीप्सा का अनुभव नहीं करता और न कोई अनुभूति ही…

% दिन पहले

अवसाद का उपाय

हमेशा अहंकार अवसाद में डूब जाता है । उसकी परवाह न करो। चुपके से अपना…

% दिन पहले

भगवान की मांग

भगवान मुझसे क्या चाहते हैं ? वे चाहते हैं कि पहले तुम अपने-आपको पा लो,…

% दिन पहले