अगर तुम्हारे अन्दर श्रद्धा और विश्वास है, तो तुम गुरु के मानव रूप की पूजा नहीं करते बल्कि उन परम प्रभु को पूजते हो जो उनके द्वारा प्रकट होते हैं । परेशान मत होओ और जिस रास्ते से तुम्हें सहायता मिले उससे अपने-आपको पूरी तरह परम प्रभु को दे दो ।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग – २)
केवल अपने लिए अतिमानस को प्राप्त करना मेरा अभिप्राय बिल्कुल नहीं है - मैं अपने…
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