जब तुम्हारें अंदर कोई कामना हो तो तुम अपनी वांछित वस्तु द्वारा शासित होते हो, वह तुम्हारें मन और जीवन पर कब्जा कर लेती है और तुम दास बन जाते हो। अगर तुम्हें खाने का लोभ हो तो तुम भोजन के स्वामी नहीं रहते, भोजन तुम्हारा स्वामी हो जाता है।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)
ऐसी आत्माएँ होती हैं जो अपने परिवेश के विरुद्ध विद्रोह करती हैं और ऐसा लगता…
यदि तुम्हारें ह्रदय और तुम्हारी आत्मा में आध्यात्मिक परिवर्तन के लिए सच्ची अभीप्सा jहै, तब…
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.... मनुष्य का कर्म एक ऐसी चीज़ है जो कठिनाइयों और परेशानियों से भरी हुई…