कभी मत बुड़बुड़ाओ । जब तुम बुड्बुड़ाते हो तो तुम्हारे अन्दर सब तरह की शक्तियां घुस जाती हैं और तुम्हें नीचे खींच लेती हैं । मुस्कुराते रहो । मैं हमेशा मजाक करती हुई दीखती हूं पर यह केवल मजाक नहीं है । यह चैत्य से उत्पन्न विश्वास है । मुस्कान इस श्रद्धा को प्रकट करती है कि कोई चीज भगवान् के विरुद्ध खड़ी नहीं रह सकती और अन्त में हर चीज ठीक निकलेगी ।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग -२)
यदि तुम्हारें ह्रदय और तुम्हारी आत्मा में आध्यात्मिक परिवर्तन के लिए सच्ची अभीप्सा jहै, तब…
जब शारीरिक अव्यवस्था आये तो तुम्हें डरना नहीं चाहिये, तुम्हें उससे निकल भागना नहीं चाहिये,…
आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिनमें…
.... मनुष्य का कर्म एक ऐसी चीज़ है जो कठिनाइयों और परेशानियों से भरी हुई…
अगर श्रद्धा हो , आत्म-समर्पण के लिए दृढ़ और निरन्तर संकल्प हो तो पर्याप्त है।…