धरती पर कठिन घड़ियाँ मनुष्यों को अपने तुच्छ निजी अहंकार को जीतने और सहायता तथा प्रकाश के लिए केवल भगवान की ओर मुड़ने को बाधित करने के लिए आती हैं। मनुष्यों की बुद्धित्मत्ता अज्ञानमय है। केवल ‘भगवान’ जानते हैं।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)
जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…
‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…
सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…