किसी भी बाहर की चीज़ को अपने नजदीक आने और अपने – आपको क्षुब्ध न करने दो। लोग जो सोचते, करते या कहते हैं उसका बहुत कम महत्व होता है। एक ही चीज़ है जिसका महत्व है, और वह है, भगवान के साथ तुम्हारा संबंध।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)
धरती पर कठिन घड़ियाँ मनुष्यों को अपने तुच्छ निजी अहंकार को जीतने और सहायता तथा…
अगर मन, प्राण और शरीर का पुनर्जन्म नहीं होता, केवल चैत्य ही फिर से जन्म…
हमारी प्रकृति भ्रांति तथा क्रिया की बेचैन अनिवार्यता के आधार पर कार्य करती है, भगवान…
प्रभो, मैं तेरे सम्मुख हूं, दिव्य ऐक्य की धधकती अग्नि में प्रज्वलित हवि की तरह…
हमेशा भगवान् की उपस्थिति में ही निवास करो इस अनुभूति में रहो कि यह उपस्थिति…