एक प्रार्थना, एक श्रेष्ठ कर्म, एक उत्कृष्ट उद्भावना
कर सकती है युक्त मानव-बल को, एक परात्पर शक्ति से ।
संदर्भ : “सावित्री”
जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…
‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…
सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…