माताजी इस बात का विशेष ध्यान रखती थी कि समाधि की आध्यात्मिक पवित्रता सुरक्षित बनी रहें । वे किसी भी प्रकार के दिखावें या प्रदर्शन के विरुद्ध थी । वे नहीं चाहती थी वहाँ कोई विधि विधान शुरू हो । एक दिन लोगों को फूल उठाते और सजाते देखकर उन्होनें कहा “यह लो एक नया धर्म पैदा हो रहा है ।”
संदर्भ : माताजी की झाकियाँ
जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…
‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…
सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…