एकमात्र चीज़ जो महत्वपूर्ण हैं, एकमात्र चीज़ जिसका मूल्य है, वह है ‘तेरे’ साथ आधिकाधिक पूरी तरह से तदात्म होने की इच्छा, हमारी चेतना को ‘तेरी’ निरपेक्ष चेतना के साथ युक्त करने की, ‘तेरे’ परम विधान, ‘तेरी’ प्रेममयी इच्छा का आधिकाधिक शांत, अचंचल, निस्स्वार्थ, बलवान सेवक बनने की इच्छा।
… मौन भक्ति से मैं तुझे नमन करती हूँ … ।
संदर्भ : प्रार्थना और ध्यान
"आध्यात्मिक जीवन की तैयारी करने के लिए किस प्रारम्भिक गुण का विकास करना चाहिये?" इसे…
शुद्धि मुक्ति की शर्त है। समस्त शुद्धीकरण एक छुटकारा है, एक उद्धार है; क्योंकि यह…
मैं मन में श्रीअरविंद के प्रकाश को कैसे ग्रहण कर सकता हूँ ? अगर तुम…
...पूजा भक्तिमार्ग का प्रथम पग मात्र है। जहां बाह्य पुजा आंतरिक आराधना में परिवर्तित हो…