श्रेणियाँ श्री माँ के वचन

उपस्थिती का अनुभव

मेरी प्यारी माँ, काश ! मैं अपनी अज्ञानी सत्ता को यह विश्वास दिला पाता कि तुम्हें अपने हृदय के केंद्र में पाना संभव है ।

यह तुम्हारे हृदय को विश्वास दिलाने का प्रश्न नहीं है, तुम्हें इस उपस्थिती का अनुभव होना चाहिये और तब तुम जान पाओगे कि अपनी गहराइयों में तुम्हारा हृदय सदा इस उपस्थिती के बारे में सचेतन रहा है ।

संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)

शेयर कीजिये

नए आलेख

अपने चरित्र को बदलने का प्रयास करना

सबसे पहले हमें सचेतन होना होगा, फिर संयम स्थापित करना होगा और लगातार संयम को…

% दिन पहले

भारत की ज़रूरत

भारत को, विशेष रूप से अभी इस क्षण, जिसकी ज़रूरत है वह है आक्रामक सदगुण,…

% दिन पहले

प्रेम और स्नेह की प्यास

प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है…

% दिन पहले

एक ही शक्ति

माताजी और मैं दो रूपों में एक ही 'शक्ति' का प्रतिनिधित्व करते हैं - अतः…

% दिन पहले

पत्थर की शक्ति

पत्थर अनिश्चित काल तक शक्तियों को सञ्चित रख सकता है। ऐसे पत्थर हैं जो सम्पर्क की…

% दिन पहले

विश्वास रखो

माताजी,  मैं आपको स्पष्ट रूप से बता दूँ कि में कब खुश नहीं रहती; जब…

% दिन पहले