साधक : “उच्चतर चेतना में उठने या उस तक छलांग लगाने के लिए क्या किया जाये ? “
श्रीमाँ : वहाँ तक पहुँचने का सबसे अच्छा तरीका है कि जब कभी मानसिक हलचल आये, प्राणिक कामनाएँ और उथुल-पुथुल आयें तो उन्हें स्वीकार करने से इन्कार कर दो और मन तथा हृदय को जहां तक हो सके सतत भगवान की और मुड़ा रखो। यह करने के लिए भगवान के लिए प्रेम सबसे अधिक बलवती शक्ति है ।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)
भगवान के प्रति आज्ञाकारिता में सरलता के साथ सच्चे रहो - यह तुम्हें रूपांतर के…
अधिकतर लोग कार्यों को इसलिये करते हैं कि वे उन्हें करने पड़ते है, इसलिये नहीं…
मधुर माँ, जब श्रीअरविंद चेतना के परिवर्तन की बात करते हैं तो उनका अर्थ क्या…