सभी सिद्धान्त, सभी शिक्षाएं अन्तिम विश्लेषण में बोलने या लिखने के तरीकों से बढ़कर और कुछ नहीं होती । यहा तक की ऊंचे-से-ऊंचे अंतर्दर्शन भी उनके साथ आने वाली उपलब्धि की शक्ति से बढ़कर और कुछ नहीं होते ।
उच्चतम सत्य को प्राप्त करने के उपाय या पद्धति के बारे में लिखी या पढ़ी गयी सैकड़ों पुस्तकों से बढ़कर है उच्चतम सत्य को जीना – भले वह मिनट भर के लिये क्यों न हो ।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग -२)
तुम्हारी श्रद्धा, निष्ठा और समर्पण जितने अधिक पूर्ण होंगे, भगवती मां की कृपा और रक्षा भी…
भगवान् ही अधिपति और प्रभु हैं-आत्म-सत्ता निष्क्रिय है, यह सर्वदा शान्त साक्षी बनी रहती है…
अगर चेतना के विकास को जीवन का मुख्य उद्देश्य मान लिया जाये तो बहुत-सी कठिनाइयों…
दुश्मन को खदेड़ने का सबसे अच्छा तरीक़ा है उसके मुँह पर हँसना! तुम उसके साथ…
आलोचना की आदत-अधिकांशतः अनजाने में की गयी दूसरों की आलोचना-सभी तरह की कल्पनाओं, अनुमानों, अतिशयोक्तियों,…