जिस क्षण तुम संतुष्ट हो जाओ और अभीप्सा करना छोड़ दो, उसी क्षण से तुम मरना शुरू कर देते हो। जीवन गति है, जीवन प्रयास है । यह आगे ही आगे की और कूच है, भावी उद्घाटनों और सिद्धियों की ओर आरोहण है। आराम करना चाहने से भयंकर और कुछ नहीं है।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)
भगवान जब बुरी-से-बुरी परीक्षा लेते हैं तब वह अच्छे-से-अच्छा पथ दिखाते हैं, जब वह कठोरतापूर्वक…
कल मैंने लिखा था कि एक गंभीर स्थिरता है - लेकिन आज केवल एक गंभीर…
यदि व्यक्ति यह अनुभव करे कि उसका इस जीवन का कार्य समाप्त हो गया है…
श्रीअरविंद प्रभु के सनातन अवतार हैं, अगर हम उनकें साथ सतत संपर्क में रह सकें…