​अगर तुम अकेले नहीं हो, बल्कि औरों के साथ रहते हों तो ऐसी आदत डालों कि अपने-आपको सारे समय ऊंची आवाज में उच्चारित शब्दों मे अभिव्यक्त न करते रहो, तब तुम देखोगी कि तुम्हारे और औरों के बीच थोड़ी-थोड़ी करके एक आंतरिक समझ पैदा हों गयी है; तब तुम उनके साथ कम-से-कम शब्दों मे या बिना शब्दों के हीं एक-दूसरे से संपर्क रख सकोगे । यह बाहरी मौन आंतरिक शांति के लिये बहुत अनुकूल होता है और अगर तुम्हारे अंदर सद्भावना और सतत अभीप्सा हैं तो तुम प्रगति के लिये सहायक वातावरण पैदा कर सकोगे ।

सन्दर्भ : शिक्षा के उपर 

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