जो लोग नव युग में मानवता के भविष्य की सबसे अधिक सहायता करेंगे वे वही होंगे जो आध्यात्मिक विकास को ही नियति और मानवजाति की सबसे बड़ी आवश्यकता के रूप में स्वीकार करेंगे-एक ऐसे विकास या परिवर्तन को जो वर्तमान मानवजाति को आध्यात्मीकृत मानवता में उसी तरह बदल देगा जैसे एक बड़ी हद तक पाशविक मनुष्य उच्च स्तर की मानसिक मानवजाति में बदला है।
वे अमुक विश्वासों या धर्म के रूपों की ओर से अपेक्षया उदासीन होंगे और मनुष्यों को उन विश्वासों और रूपों को अपनाने देंगे जिनकी ओर वे स्वभावतः आकर्षित हों। वे इस आध्यात्मिक परिवर्तन में श्रद्धा को ही आवश्यक मानेंगे। विशेषकर, वे यह सोचने की भूल नहीं करेंगे कि यह परिवर्तन यन्त्रों या बाहरी प्रथाओं के द्वारा लाये जा सकेंगे। वे यह बात जानते होंगे और इसे कभी न भूलेंगे कि ये परिवर्तन तब तक कभी वास्तविक नहीं बन सकते जब तक कि हर एक इन्हें अपने आन्तरिक जीवन में साधित न कर ले।
संदर्भ : पहले की बातें
यदि तुम्हारें ह्रदय और तुम्हारी आत्मा में आध्यात्मिक परिवर्तन के लिए सच्ची अभीप्सा jहै, तब…
जब शारीरिक अव्यवस्था आये तो तुम्हें डरना नहीं चाहिये, तुम्हें उससे निकल भागना नहीं चाहिये,…
आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिनमें…
.... मनुष्य का कर्म एक ऐसी चीज़ है जो कठिनाइयों और परेशानियों से भरी हुई…
अगर श्रद्धा हो , आत्म-समर्पण के लिए दृढ़ और निरन्तर संकल्प हो तो पर्याप्त है।…