अपनी सहायता करने का सबसे अच्छा उपाय है, औरों की सहायता करना। अगर तुम सच्चे हो तो शीघ्र ही यह जान लोगे कि उनकी सभी कठिनाइयाँ और सभी असफलता स्वयं तुम्हारे अन्दर की समान कमियों की निश्चित निशानियाँ है। नि:संदेह, उनसे यह प्रमाणित होता है कि तुम्हारें अन्दर की कोई चीज़ इतने पर्याप्त रूप से पूर्ण नहीं है कि सर्वशक्तिमान हो। मानव जाति एक ऐसा रोगी बच्चा है जो हमेशा ऐसी चीज़ मांगता है जो उसके लिए अच्छी नहीं हैं । लोकोपवाद एक ऐसी माँ की तरह है जो अपने बच्चे को संतुष्ट करने के लिए उसे ऐसी चीज़ें दे देगी जो हानिकर हैं।
संदर्भ : श्रीमाँ के वचन (भाग-२)
यदि तुम्हारें ह्रदय और तुम्हारी आत्मा में आध्यात्मिक परिवर्तन के लिए सच्ची अभीप्सा jहै, तब…
जब शारीरिक अव्यवस्था आये तो तुम्हें डरना नहीं चाहिये, तुम्हें उससे निकल भागना नहीं चाहिये,…
आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिनमें…
.... मनुष्य का कर्म एक ऐसी चीज़ है जो कठिनाइयों और परेशानियों से भरी हुई…
अगर श्रद्धा हो , आत्म-समर्पण के लिए दृढ़ और निरन्तर संकल्प हो तो पर्याप्त है।…