अधीनस्थ कर्मचारियों को अनुशासित करना उचित मनोभाव से किया जाना चाहिये और अधीनस्थ कर्मचारीगण भी वैसा ही महसूस करें, यह आवश्यक है-यह महसूस करें कि उनके साथ पूरी ईमानदारी के साथ व्यवहार किया जा रहा है और एक ऐसे व्यक्ति के द्वारा जिसमें सहानुभूति और अन्तर्दृष्टि है, न कि केवल सख्ती और शक्ति है। यह प्राणिक व्यवहार-कुशलता का तथा एक सशक्त और विशाल प्राणिक व्यक्ति द्वारा दूसरों के साथ व्यवहार में हमेशा उचित तरीका अपनाये जाने का प्रश्न है।
संदर्भ : श्रीअरविंद के पत्र
जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…
‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…
सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…