बाहरी और भीतरी अनुशासन के बिना तुम जीवन में कुछ भी नहीं पा सकते, न तो आध्यात्मिक और न ही जड़-भौतिक स्तर पर । वे सब जो किसी सुन्दर या उपयोगी चीज़ का सृजन करने में सफल हुए हैं, वे ऐसे लोग थे जो अपने-आपको अनुशासित करना जानते थे।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)
0 Comments