मधुर माँ,
हम स्वप्न में अच्छे और बुरे में कैसे फ़र्क़ कर सकते हैं।
सिद्धांत रूप में, नींद के क्रिया-कलाप का मूल्याँकन करने के लिए हमें उसी तरह की विवेक-शक्ति की ज़रूरत होती है जैसी जाग्रत क्रिया – कलाप को परखने के लिए।
लेकिन चूँकि हम सामान्यतः ऐसी बहुत-से क्रियाओं को “स्वप्न” का नाम दे देते हैं जो एक-दूसरे से बहुत भिन्न होती हैं इसलिए जो चीज़ सबसे पहले सीखनी चाहिये वह है विभिन्न प्रकार की क्रियाओं में भेद कर सकना, यानी यह जानना कि सत्ता का कौन-सा भाग “स्वप्न” देख रहा है, हम किस क्षेत्र में “स्वप्न देख रहें है” और उस क्रिया की क्या प्रकृति है। श्रीअरविंद ने अपने पत्रों में नींद की सभी क्रियाओं का पूरा-पूरा और विस्तृत वर्णन और स्पष्टीकरण किया है। इस विषय का अध्ययन करने और उसका व्यावहारिक उपयोग करने के लिए इन पत्रों को पढ़ना एक अच्छा परिचय है।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड -१६)
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