मनुष्यों के बीच में अकेलेपन का अनुभव करना इस बात का चिन्ह है कि तुम अपनी सत्ता के अंदर भगवान की उपस्थिती के साथ संपर्क पाने की आवश्यकता अनुभव कर रही हो। अत: तुम्हें नीरवता में एकाग्र होना चाहिये और सभी मानसिक क्रियाओं के परे, भीतर की गहराइयों में प्रवेश करके चेतना की गहराइयों में भागवत उपस्थिती को खोज निकालना चाहिये।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)
सबसे पहले हमें सचेतन होना होगा, फिर संयम स्थापित करना होगा और लगातार संयम को…
प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है…
पत्थर अनिश्चित काल तक शक्तियों को सञ्चित रख सकता है। ऐसे पत्थर हैं जो सम्पर्क की…