श्रीक़ृष्ण ने मुझे वेदों का वास्तविक अर्थ बतलाया है, इतना ही नहीं, बल्कि उन्होने मुझे भाषा-शास्त्र का एक नया विज्ञान…
योगी, सन्यासी, तपस्वी बनना यहाँ का उद्देश्य नहीं है। हमारा उद्देश्य है रूपांतर, और तुमसे अनन्तगुना बड़ी शक्ति के द्वारा…
माताजी और मैं एक ही हैं पर दो शरीरों में, यह आवश्यक नहीं है कि दोनो शरीर सदा एक ही…
तुम्हारे मित्र का यह विचार कि यहाँ से मंत्र मिलना आवश्यक है और उसके लिए उसका यहाँ आना अनिवार्य है,पूरी…
यह कहा जा सकता है कि मैं पूर्णयोग कर रहा हूँ ? प्रत्येक व्यक्ति जो श्रीमाँ की ओर मुड़ा है, …
नहीं, आश्रम में रहना पर्याप्त नहीं है - व्यक्ति को श्रीमाँ के प्रति उद्घाटित होना होगा और उस कीचड को…
श्रीमाँ दोनों तरीकों से देती हैं - नेत्रों के द्वारा चैत्य को प्रदान करती हैं और अपने हाथों द्वारा भौतिक…
क्या यह हो सकता है कि एक व्यक्ति जो श्रीअरविंद की ओर खुला है, माँ की ओर खुला न हो…
एक ही शक्ति है,वह है माताजी की शक्ति-या अगर तुम इस तरह रखना चाहो कि-श्रीमाँ श्रीअरविंद की शक्ति है ।…
एक चीज़ जो महत्वपूर्ण है वह है - आन्तरिक मनोभाव को बनाये रखना और सभी बाहरी परिस्थितियों से मुक्त होकर…