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श्रीमातृवाणी खण्ड २

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वाणी और क्रिया में सच्चाई
630

वाणी और क्रिया में सच्चाई

by श्री माँ 2 महीना ago2 महीना ago
आंतरिक जीवन की साधना
610

आंतरिक जीवन की साधना

by श्री माँ 2 महीना ago2 महीना ago
  • 210
    श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    श्री माँ के वचन

    उदार विचार

    मैंने अभी कहा था कि हम अपने बारे में बड़े उदार विचार रखते हैं और मेरे ख़याल से, वास्तव में हमारे दोष भी प्रायः हमें...

    श्री माँ
    by श्री माँ 3 महीना ago3 महीना ago
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    श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    श्री माँ के वचन

    मनुष्य

    यदि सारे विश्व में मनुष्य जैसा दुर्बल कोई नहीं हैं तो उस जैसा दिव्य भी नहीं है । संदर्भ : मातृवाणी (भाग-२)

    श्री माँ
    by श्री माँ 5 महीना ago5 महीना ago
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    श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    श्री माँ के वचन

    सच्चा मनुष्य

    यह निश्चित है कि बिना किसी कष्ट के सत्य बोल सकने के लिये सबसे अच्छा ढंग है कि हम अपना व्यवहार सदा इस प्रकार रखे...

    श्री माँ
    by श्री माँ 1 वर्ष ago1 वर्ष ago
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    श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    श्री माँ के वचन

    दुःख झेलना जाना

    यदि किसी समय तुम्हें कोई गभीर दुःख, दारुण संशय या तीव्र कष्ट अभिभूत और हताश कर रहा हो तो शान्ति और स्थिरता पुनः प्राप्त करने...

    श्री माँ
    by श्री माँ 2 वर्ष ago2 वर्ष ago
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    श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    श्री माँ के वचन

    यादें

    हमें यादों से इतना स्नेह होता है क्योंकि वे सार्वभौमिक हैं। उनके अन्दर ‘अनन्तता’ के रस का कुछ अंश होता है। जिसे दैनिक घटनाओं में...

    श्री माँ
    by श्री माँ 2 वर्ष ago2 वर्ष ago
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    श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    श्री माँ के वचन

    सर्वोत्तम उदाहरण

    व्यापक दृष्टि से विचार करने पर मुझे ऐसा लगता है कि प्रचार करने योग्य सबसे उपयोगी विचार दोहरा है: (१) मनुष्य स्वयं अपने अन्दर ही...

    श्री माँ
    by श्री माँ 3 वर्ष ago3 वर्ष ago
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    श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    श्री माँ के वचन

    सच्ची वीरता

    तुम पानी में गिर पड़ते हो। वह विपुल जलराशि तुम्हें भयभीत नहीं करती। तुम हाथ-पांव मारते हो, साथ ही तैरना सिखाने वाले अपने शिक्षक को...

    श्री माँ
    by श्री माँ 3 वर्ष ago3 वर्ष ago
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    श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    श्री माँ के वचन

    प्रफुल्लता

    किसी वर्षाप्रधान देश के एक बड़े शहर में एक दिन तीसरे पहर मैंने सात-आठ गाड़ियां बच्चों से भरी देखीं। वे लोग सवेरे ही गांवों की...

    श्री माँ
    by श्री माँ 3 वर्ष ago3 वर्ष ago
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    श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    श्री माँ के वचन

    यादों से स्नेह

    हमें यादों से इतना स्नेह होता है क्योंकि वे सार्वभौमिक हैं। उनके अन्दर ‘अनन्तता’ के रस का कुछ अंश होता है। जिसे दैनिक घटनाओं में...

    श्री माँ
    by श्री माँ 6 वर्ष ago6 वर्ष ago
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    श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    श्री माँ के वचन

    हर चीज़ सबकी है

    हर चीज़ सबकी है। यह कहना या सोचना : “यह चीज़ मेरी है”, एक ऐसा अलगाव पैदा करता है, एक ऐसा भेद लाता है जो...

    श्री माँ
    by श्री माँ 6 वर्ष ago6 वर्ष ago

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    जीवन का उद्देश्य

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    दुश्मन को खदेड़ना

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    आलोचना की आदत

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    कृतज्ञता

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    अनुशासन

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    भागवत मुस्कान का ध्यान

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    मनोबल

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    तुम्हारा चुनाव

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    खिन्नता

    खिन्नता

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    मानसिक रूपायण

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    नयी चीज़ का डर

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    युवकों को आह्वान

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    प्रत्येक का अपना तरीका

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