श्रीमातृवाणी खण्ड-१७

भगवान का प्रेम

झूठे गर्व से बच कर रहो - वह केवल विनाश की ओर ले जाता है ।  और भगवान के प्रेम…

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प्रकाश और आनंद में जीना

कल मैंने लिखा था कि एक गंभीर स्थिरता है - लेकिन आज केवल एक गंभीर विक्षोभ है ! एक ही…

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ज्योतिर्मय भविष्य

उदार हृदय हमेशा पुराने दुर्व्यवहारों को भूल जाता है और दुबारा सामंजस्य लाने के लिए तैयार रहता है । आओ,…

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शरीर को छोड़ना कोई हल नहीं

चूंकि मेरी प्रकृति कमजोर है इसलिए साधारण चीजों को त्यागना कठिन हो जाता है। लेकिन, यह निश्चित है कि मैं…

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हमारा लक्ष्य

हमारा लक्ष्य है अपनी सत्ता की पूर्णता को चरितार्थ करना और मानव पशु को भागवत मनुष्य में बदल देना ।…

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विश्वास बनाये रखो

यह कहने की जरूरत नहीं कि मेरी सहायता और शक्ति तीव्रता के साथ उन लोगों के साथ है जो मेरे…

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उदार हृदय

उदार हृदय हमेशा अपने पुराने दुर्व्यवहारों को भूल जाता है और दुबारा सामंजस्य लाने के लिए तैयार रहता है। आओ,…

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आपको पाने के लिए

मुझे यह सिखाइये कि आपको पाने के लिए किस तरह प्रयास करूँ ? तुम्हें अपनी इच्छा-शक्ति लगानी होगी । संदर्भ…

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रति

आत्म-रति भयानक बाधा है । प्रभु-रति महान उपचार है । संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)

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कठिनाइयों का कारण

मनुष्यों की जो अधिकतर कठिनाइयाँ होती है उनका कारण होता है, उनका अपनी क्रियाओं पर और दूसरों की क्रियाओं पर…

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