श्रीमातृवाणी खण्ड १६

शांति के साथ

हमारा मार्ग बहुत लम्बा है और यह अनिवार्य है कि अपने-आपसे पग-पग पर यह पूछे बिना कि हम आगे बढ़…

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परिश्रम

एक आश्रमवासी काम से बहुत कतराता था, माताजी ने उसके नाम एक पत्र भेजा ।  परिश्रम के बिना जीवन नहीं…

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भगवान की आशा

मधुर माँ, स्त्रष्टा ने इस जगत और मानवजाति की रचना क्यों की है? क्या वह हमसे कुछ आशा रखता है…

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जीवन का उद्देश्य

अगर चेतना के विकास को जीवन का मुख्य उद्देश्य मान लिया जाये तो बहुत-सी कठिनाइयों को अपना समाधान मिल जायेगा।…

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मानसिक रूपायण

माँ, 'क' ने एक चीनी-मिट्टी का कटोरा तोड़ दिया है ।  कल तुम आश्चर्य कर रहे थे कि उससे कोई…

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नयी चीज़ का डर

मधुर मां,  हम प्रायः कोई नयी चीज करने से डरते हैं, शरीर नये तरीके से क्रिया करने से इन्कार करता…

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युवकों को आह्वान

पहली शर्त है, अपने निजी हितों को लक्ष्य न बनाओ। पहले गुण जिनकी जरूरत है वे हैं : बहादुरी, साहस…

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कठिन घड़ियाँ

धरती पर कठिन घड़ियाँ मनुष्यों को अपने तुच्छ निजी अहंकार को जीतने और सहायता तथा प्रकाश के लिए केवल भगवान…

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स्वप्न

मधुर मां,   हम स्वप्न में अच्छे और बुरे में कैसे फर्क कर सकते हैं? सिद्धान्त रूप में, नींद के…

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व्यर्थ की बक-बक

स्वयं मुझे अनुभव है कि तुम शारीरिक रूप से, अपने हाथों से काम करते हुए भी पूरी तरह ध्यानस्थ और…

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