उनकी कृपा बरसेगी अवश्य…
जीवनयात्रा में समस्त भय, संकट और विपदा का सामना करने के लिए कवच के रूप में तुम्हारे पास केवल दो ही चीजों का होना आवश्यक...
जीवनयात्रा में समस्त भय, संकट और विपदा का सामना करने के लिए कवच के रूप में तुम्हारे पास केवल दो ही चीजों का होना आवश्यक...
श्रीमाँ श्रीअरविन्द’ की शिष्या नहीं हैं। उन्हें मेरे समान ही सिद्धि और अनुभूति प्राप्त थी। श्रीमाँ की साधना छोटी उम्र से ही आरम्भ हो गयी...
इसपर विचार मत करो कि लोग तुमसे सहमत हैं या असहमत अथवा तुम अच्छे हो या बुरे, वरन यह विचार करो कि “माताजी मुझसे प्रेम...
क्या यह सम्भव है कि काम करते समय यह याद रखा जाये कि हमारे द्वारा माताजी ही काम कर रही हैं ? अगर वह कर्म...
माताजी की उपस्थिति हमेशा रहती ही है; पर तुम यदि स्वयं अपने ही ढंग से अपनी निजी भावना, वस्तुओं के विषय में अपनी निजी धारणा,...
जब कोई आदमी माताजी के संरक्षण में योग करना आरंभ करता है तब क्या वह पूर्ण रूप से उनके द्वारा ग्रहण नहीं कर लिया जाता?...
माताजी को स्मरण करो और, यद्यपि शरीर से तुम उनसे बहुत दूर हो, उनको अपने साथ अनुभव करने का प्रयास करो और तुम्हारी आंतर सत्ता...
उसे अपने भीतर जाना होगा और अंतर में भगवती माता की और हृदय के पीछे चैत्य पुरुष की उपस्थिति को ढूंढ़ निकालना होगा और फिर...
क्या श्रीमां के अन्तर्दर्शन को अथवा स्वप्न या जागृत अवस्था में उन्हें देखने को साक्षात्कार कहा जा सकता है? वह साक्षात्कार न होकर अनुभव होगा।...
जब तुम अपने-आपको देते हो तो पूरी तरह दो, बिना किसी मांग के, बिना किसी शर्त के और बिना किसी संकोच के दो, ताकि तुम्हारे...