श्रीअरविंद की कविता

जन्म का चमत्कार

मैंने देखा मेरी आत्मा है एक यात्री , काल के आर-पार ; जीवन, प्रति जीवन करती ब्रह्मांड-पथ पर पद-सञ्चार, अतलान्तों…

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मेरी मांग

मनुष्यों के लिए मैं उस शांति की मांग कर रहा हूं जो कभी असफल न होगी, धरती के लिए मैं…

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ईश्वर : श्रीअरविन्द की कविता

  तू जो कि सर्वव्याप्त है समस्त निचले लोकों में , फिर भी है विराजमान बहुत ऊपर , उन सबका…

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कृष्ण

अंततः मुझे मिला इस मधुर और भीषण जगत में आत्मा के जन्म का उद्देश्य, मैंने अनुभव किया पृथ्वी का क्षुधित…

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स्वर्णिम प्रकाश : श्रीअरविंद की कविता

तेरे स्वर्णिम प्रकाश का मेरे मस्तिष्क में हुआ अवतरण और मन के धुंधले कक्ष हो गये सूर्यायित प्रज्ञा के तान्त्रिक…

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रूपांतर

सूक्ष्म लयात्मक प्रवाह में होता है मेरे श्वास का संचलन; यह मेरे अंगों को दिव्य शक्ति से करता परिपूरन :…

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विश्व-नृत्य

(कृष्ण का नृत्य, काली का नृत्य) विश्व-नृत्य की हैं यहां दो ताल। सदा हम सुनते हैं काली के पदों का…

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दिव्य दृष्टि – (सॉनेट) – श्रीअरविंद की कविता

तेरे आनन्द से अब हर दृष्टि है अमर : मेरी आत्मा सम्मोहित नयनों से करने आयी है दर्शनः फट गया…

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प्रकाश – श्रीअरविन्द की कविता

प्रकाश, अन्तहीन प्रकाश! अंधेरे को नहीं अब अवकाश, जीवन की अज्ञानी खाइयां तज रहीं अपनी गोपनता : विशाल अवचेतन-गहराइयां जो…

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तरु

एक तरु रेतीले सर-तीर बढ़ाये अपने लंबे डाल अंगुलियों से ऊपर की ओर चाहता छूना गगन विशाल ।   किन्तु…

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