यह मानना बड़ी भूल है कि यहाँ प्रत्येक व्यक्ति अंतत: पॉण्डिचेरी आश्रम से जुडने आया है । यह श्रीमाँ का…
आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिसमें अनुभूति पाने की कुछ क्षमता…
... परिवेश का निश्चय ही व्यक्ति पर प्रभाव पड़ता है... यही कारण है कि तुम जहां रहो वहाँ अपना एक…
आश्रम का परिवेश, उसकी सीमाएं क्या हैं ? वह प्रत्येक घर जिसमें साधक रहते हैं आश्रम की सीमा के अंदर…
मेरा स्पर्श सदैव बना रहता है; बस तुम्हें उसे अनुभव करना सीखना होगा। न केवल किसी माध्यम द्वारा - जैसे…
आध्यात्मिक पूर्णता में क्या विनोदप्रियता का कोई स्थान है ? अगर कोई सिद्ध कभी नहीं हँसता तो वह उसकी अपूर्णता…
साधना-पथ पर अवसाद, अन्धकार और निराशा के दौरों की एक परम्परा-सी चली आती है। ऐसा लगता है कि ये पूर्वी…
जैसे-जैसे व्यक्ति विकसित होता है, वह आध्यात्मिक स्वाधीनता की ओर बढ़ता रहता है। किन्तु यह स्वाधीनता ऐसी चीज नहीं है…
यह बहुधा घटित होता है कि दर्शन-दिवस के समीप आते ही विरोधी शक्तियां एकजुट हो जाती हैं और व्यक्तिगत रूप…
भूल या सजा देने का कोई प्रश्न ही नहीं है-अगर हम लोगों को उनकी भूलों के लिए अपराधी ठहरायें या…