
भागवत उपस्थिती का पहला चिन्ह
केवल शांत स्थिरता में ही सब कुछ जाना और किया जा सकता है। जो कुछ उत्तेजना और उग्रता में किया जाता है वह मतिभ्रंश और...
केवल शांत स्थिरता में ही सब कुछ जाना और किया जा सकता है। जो कुछ उत्तेजना और उग्रता में किया जाता है वह मतिभ्रंश और...
परिस्थितियाँ अवसर भले हों पर निश्चित रूप से, कारण नहीं हो सकती । कारण ‘भागवत’ इच्छा में है और उसे कुछ भी नहीं बदल सकता ।...
“साधना” करते समय बाह्य चीजों का बहुत महत्व नहीं होना चाहिये। आवश्यक आन्तरिक शांति हर तरह की परिस्थिति में स्थापित हो सकती है । संदर्भ...
यदि मन सभी परिस्थितियों और सभी हालतों में शान्त रहे तो धैर्य आसानी से बढ़ेगा। संदर्भ : श्रीमाँ के वचन (भाग-२)
यह पृथ्वी तब तक सजीव और स्थायी शांति का उपभोग नहीं कर सकतीं जब तक मनुष्य अपने अन्तर्राष्ट्रीय व्यवहारों में भी पूर्ण रूप से सत्यपरायण...
पथ पर मनुष्य जो पहली चीज़ सीखता है वह यह है कि देने का आनन्द पाने के आनन्द से कही अधिक बढ़ कर है ।...
यदि किसी समय तुम्हें कोई गभीर दुःख, दारुण संशय या तीव्र कष्ट अभिभूत और हताश कर रहा हो तो शान्ति और स्थिरता पुनः प्राप्त करने...
जीवन में शांति और आनंद के लिए आवश्यक शर्त है, पूरी सच्चाई के साथ वही चाहना जो भगवान चाहते हैं। लगभग सभी मानव दुर्गतियां इस...
तूने मेरी सत्ता को अनिर्वचनीय शांति और अद्वितीय विश्रांति से भर दिया है … किसी व्यक्तिगत विचार या इच्छा के बिना, मैंने अपने-आपको तेरी अनंतता...
बहुत शांत रहो और बहुत धीरज रखो, कभी गुस्सा न करो; दूसरों का स्वामी बनने से पहले स्वयं अपने स्वामी बनो । संदर्भ : शिक्षा...