
केवल अंश ही
पूर्णयोग के साधक को यह अवश्य स्मरण रखना चाहिये कि कोई भी लिखित शास्त्र नित्य ज्ञान के केवल कुछ एक अंशों को ही प्रकट कर...
पूर्णयोग के साधक को यह अवश्य स्मरण रखना चाहिये कि कोई भी लिखित शास्त्र नित्य ज्ञान के केवल कुछ एक अंशों को ही प्रकट कर...
अगर मन चंचल हों तो योग की नींव डालना संभव नही । सबसे पहले यह आवश्यक है कि मन अचंचल हो । और व्यक्तिगत चेतना...
सच्ची आध्यात्मिकता जीवन से संन्यास नहीं है, बल्कि ‘दिव्य पूर्णता’ के साथ जीवन को पूर्ण बनाना हैं । सन्दर्भ : माताजी के वचन ( भाग...
योग के दृष्टिकोण से, तुम जो करते हो वह नहीं बल्कि तुम कैसे करते हो वह सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है । कर्म का इतना अधिक...
पहाड़ी रास्ता हमेशा दो दिशाओं में जाता है । ऊपर की ओर और नीचे की ओर-सब कुछ इस पर निर्भर है कि तुम किस ओर...
तुम सभी, मेरे बच्चो, मैं तुमसे यह कह सकती हूँ, मैंने यह कई बार दोहराया है और एक बार फिर दोहरा रही हूँ-तुमलोग एक असाधारण...
जीवन से और लोगों से घृणा और विरक्ति के कारण इस योग के लिए नहीं आना चाहिये। कठिनाइयों से भाग जाने के लिए यहाँ नहीं...
..मेरे और तुम्हारे बीच एक विशेष सम्बन्ध है, उन सबके साथ जो मेरी और श्रीअरविन्द की शिक्षा की ओर मुंडे हुए हैं, – और, यह...
जो ‘सर्वोच्च है उसके साथ तुम्हारी सत्ता का सब प्रकार से एक हो जाना—यह योग है। जो अखिल है उसके साथ तुम्हारी सत्ता का सब...
मधुर मां, योग और धर्म में क्या अन्तर है? आह ! मेरे बच्चे… यह तो ऐसा है मानों तुम मुझसे यह पूछो कि कुत्ते और...