
अहंकार और आत्मा
अहंकार हमेशा यही सोचता रहता है कि वह क्या चाहता है और उसे क्या नहीं मिला – यही उसकी सतत तल्लीनता होती है । आत्मा...
अहंकार हमेशा यही सोचता रहता है कि वह क्या चाहता है और उसे क्या नहीं मिला – यही उसकी सतत तल्लीनता होती है । आत्मा...
सहन करना श्रेष्ठ भाव से भरपूर होना है ; इसका स्थान पूर्ण समझ को लेना चाहिये। संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)
औरों की भूल पर क्रुद्ध होने से पहले तुम्हें अपनी भूलों को याद कर लेना चाहिये। संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)
भागवत प्रेम को जल्दी प्रकट करने का सबसे अच्छा उपाय है, सत्य की विजय में सहायता देना। संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)
तुम जो कुछ करो उसमें मज़ा लेने की कोशिश करो । तुम जो कुछ करो उसमें तुम्हें रस हो तो तुम उसे मज़ा लेकर कर...
सभी सिद्धान्त, सभी शिक्षाएं अन्तिम विश्लेषण में बोलने या लिखने के तरीकों से बढ़कर और कुछ नहीं होती । यहा तक की ऊंचे-से-ऊंचे अंतर्दर्शन भी उनके साथ...
यही कभी न भूलो कि मैं झगड़ों को पसंद नहीं करती और दोनों ही पक्षों को समान रूप से गलत मानती हूँ। यहाँ अपनी भावनाओ,...
शांत रहो और शांति के साथ विश्वासपूर्वक अपना उत्सर्ग कर दो। जो कुछ होता है वह हमेशा परम प्रभु की इच्छा का प्रभाव होता है...
मुंह में मिठाई की अपेक्षा अच्छा कार्य हृदय के लिए ज़्यादा मीठा होता है । जो दिन अच्छा काम किये बिना बीतता है वह बिना...
१) दूसरों पर नियंत्रण रख सकने के लिए स्वयं अपने ऊपर पूर्ण नियंत्रण पाना अनिवार्य शर्त है। २) कोई पसन्द न होना, एक को पसन्द...