भौतिक सुख सुविधा, तथाकथित आवश्यकताओं और आरामों के बारे में - चाहे वे जिस तरह के क्यों न हों -…
प्रेम केवल एक ही है - 'भागवत प्रेम' ; और उस 'प्रेम' के बिना कोई सृष्टि न होती। सब कुछ…
तुम जितना पाते हो उससे संतुष्ट रहने की कोशिश करो-क्योंकि यह ग्रहणशीलता का मामला है-लोग जितना ग्रहण कर सकते हैं…
सच्ची नम्रता यह जानने में है कि केवल परम चेतना, परम इच्छा का ही अस्तित्व है और "मैं" का अस्तित्व…
स्थिरता और तमस में घपला मत करो। स्थिरता है, आत्म-संयत शक्ति, अचंचल और सचेतन ऊर्जा, आवेशों पर प्रभुत्व और अचेतन…
तुम जिस अचंचलता और प्रकाश के अवतरण का अनुभव कर रहे हो वह इस बात का चिन्ह है कि तुम्हारे…
अहंकार उसके बारे में सोचता है जो उसके पास नहीं है और जिसे वह चाहता है। यही उसका निरन्तर मुख्य…
आघात और परीक्षाएँ हमेशा भागवत कृपा के रूप में हमें अपनी सत्ता में वे बिन्दु दिखाने आती हैं जहां हमारे…
जब तुम ध्यान में बैठो तो तुम्हें बालक की तरह निष्कपट और सरल होना चाहिये। तुम्हारा बाह्य मन बाधा न…
मैं नहीं मानती की गुफा की साधना आसान हे-केवल, वहां कपट छिपा रहता है जबकि क्रियाकलाप और जीवन में वह…