अकेलापन क्यों ?
तुम्हें अकेलापन इसलिये लगता है क्योंकि तुम्हें प्रेम की आवश्यकता मालूम होती है। बिना किसी मांग के प्रेम करना सीखो, केवल प्रेम के आनंद के...
तुम्हें अकेलापन इसलिये लगता है क्योंकि तुम्हें प्रेम की आवश्यकता मालूम होती है। बिना किसी मांग के प्रेम करना सीखो, केवल प्रेम के आनंद के...
तुम उस प्रेम से खुश नहीं होते जो कोई और तुम्हारे लिए अनुभव करता है। तुम्हें औरों के लिए जो प्रेम अनुभव होता है वह...
अपने समस्त ह्रदय और समस्त शक्ति के साथ स्वयं को भगवान के हाथों में सौंप दो। कोई शर्त न रखो, कोई माँग नहीं, योग में...
’भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य ? सभी तो उसी एक दिव्य ‘मां’ के बालक हैं । ‘उनका’ प्रेम उन...
साहस और प्रेम ही अनिवार्य गुण हैं; और यह सब गुण यदि धुँधले या निस्टेज पड़ जायें फिर भी ये दोनों आत्मा को जीवित रखेंगे।...
हे समस्त वरदानों के परम वितरक, तुझे, जो इस जीवन को शुद्ध, सुन्दर और शुभ बना कर उसे औचित्य प्रदान करता है, तुझे, हे हमारी नियति...
मधुर मां, हम ईर्ष्या और प्रमाद से कैसे पिण्ड छुड़ा सकते या उन्हें ठीक कर सकते हैं ? स्वार्थ तुम्हें ईर्ष्यालु बनाता है और दुर्बलता...
“मनुष्य जो कुछ पहले कर चुका है उसे ही हमेशा दुहराते जाना हमारा काम नहीं है, बल्कि हमें नवीन सिद्धियों और अकल्पित विजयों को प्राप्त...
तुम माँ के बच्चे हो और माँ का अपने बच्चों के प्रति प्रेम असीम होता है, और वे उनके स्वभाव के दोषों को बड़े धीरज...
. . . निश्चय ही शादी-ब्याह का सारा विचार ही हास्यपद है क्योंकि मैं इस चीज़ को बचकाना समझती हूँ। जानते हो, ओरोवील में शादियाँ...