सचेतन संपर्क
हर उपस्थित व्यक्ति के साथ सचेतन संपर्क स्थापित कर लेने के बाद मैं ‘परम प्रभु’ के साथ एक हो जाती हूँ और तब मेरा शरीर...
हर उपस्थित व्यक्ति के साथ सचेतन संपर्क स्थापित कर लेने के बाद मैं ‘परम प्रभु’ के साथ एक हो जाती हूँ और तब मेरा शरीर...
गहरे और मौन निदीध्यासन या लिखित या अलिखित ध्यान की जगह हमें हर क्षण की क्रियाशीलता में तेरी सेवा करनी चाहिए और अपने-आपको तेरे साथ...
हे प्रभों, तू मेरा आश्रय और मेरा वरदान है, मेरा बल, मेरा स्वस्थ्य, मेरी आशा और मेरा साहस है । तू ही परम शांति, अमिश्रित...
हे समस्त वरदानों के ‘परम वितरक’, तुझे, जो इस जीवन को शुद्ध सुन्दर और शुभ बना कर उसे औचित्य प्रदान करता है, तुझे, हे हमारी...
ओह, बेचैन क्यों हुआ जाये और यह चाह क्यों की जाये कि हमारे लिए वस्तुएँ अमुक दिशा ही अपनाएँ, कोई और नहीं ! यह निश्चय...
तूने मेरी सत्ता को अनिर्वचनीय शांति और अद्वितीय विश्रांति से भर दिया है … किसी व्यक्तिगत विचार या इच्छा के बिना, मैंने अपने-आपको तेरी अनंतता...
शाश्वत शांति और नीरवता में प्रकट होते हैं, किसी चीज़ से तुम अपने-आपको क्षुब्ध न होने दो तो शाश्वत अभिवक्त होंगे। सभी के लिए पूर्ण...
प्रेम के हे दिव्य स्वामी, हर सत्ता में तेरी उपस्थिति के कारण हर मनुष्य, यहां तक कि अत्यन्त क्रूर मनुष्य भी दया पा सकता है...
उनके दुःख-दर्द से तीव्र रूप से पीड़ित होकर मैं तेरी ओर मुड़ी और उसका उपचार करने के लिए मैंने उस दिव्य प्रेम का कुछ भाग...
हे समस्त वरदानों के परम वितरक, तुझे, जो इस जीवन को शुद्ध, सुन्दर और शुभ बना कर उसे औचित्य प्रदान करता है, तुझे, हे हमारी नियति...