इन भौतिक क्रियाओं को इतना अधिक महत्व क्यों दिया जाये ? ज्यादा अच्छा यह है कि उनसे बिलकुल मुक्त अनुभव…
आत्म-रति भयानक बाधा है । प्रभु-रति महान उपचार है । संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)
'परम प्रभु' के लिए पाप का अस्तित्व ही नहीं है - सभी त्रुटियां और दोष सच्ची अभीप्सा और रूपान्तर द्वारा…