संस्मरण

श्रीअरविंद और गोविंद

सांसारिक जीवन का परित्याग करने से पहले साधू बनमालीदास बिहार में जज थे। बाद में उन्होने नर्मदा के तट पर…

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दोनों

एक बार जब गार्गी अपने जन्मदिन पर श्रीमाँ को प्रणाम करने गयी तब वह बोल उठी, "माँ, मैं आपसे सतत…

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पेट के लिए हँसना बहुत अच्छा है

गार्गी के पेट अक्सर खराब हो जाता था। श्रीमाँ ने उसके लिए एक नन्हा, प्यारा-सा कार्ड भेजा, उस पर एक…

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भद्र्काली – श्रीमाँ की अलौकिक कहानी

लुधियाना निवासी महाराज किशन ढंढा श्रीमाँ के भक्त हैं। एक दिन उनके परिवार के कुछ बच्चे खेल रहे थे ।…

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श्रीमाँ का रुमाल

श्रीमाँ पुराने वस्त्रों का रफ़ू कराके तथा पैबंद लगवाकर उपयोग करती थी। जो रुमाल फट जाते या आश्रम में इधर-उधर…

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श्रीअरविंद की परम पवित्र समाधि

श्रीमाँ ने आश्रम के मुख्य भवन में निवास करने वाले समर्पित साधक स्वर्गीय बुला से कहा था कि रात के…

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सरंक्षिका देवदूती

मिली पिंटों जब बहुत छोटी थी तभी उनकी माता की मृत्यु हो गई। उनका बचपन बीमारी और उदासी में कटा।…

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भगवान के रूप में

श्रीअरविंद आश्रम की क्रीड़ाभूमि में सप्ताह में दो बार सामूहिक ध्यान होता है। एक दिन ध्यान से लौटते समय अनिल…

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दोष देखना

एक साधक स्वभाव से उदार और दूसरों पर विश्वास करने वाला था । कुछ बेईमान लोग बार-बार उसकी भलाई का…

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लापरवाही

आश्रम में जब कपड़े धोने की व्यवस्था शुरू हुई कुछ धुले हुए कपड़े माताजी के देखने के लिए उनके पास…

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