
छेदवाला सिक्का – श्रीमाँ की कहानी
पुराने जमाने में कुछ लोग सोचते थे कि एक कटे किनारों वाला सिक्का… वह ऐसा जमाना था जब सिक्कों में छेद नहीं किये जाते थे…...
पुराने जमाने में कुछ लोग सोचते थे कि एक कटे किनारों वाला सिक्का… वह ऐसा जमाना था जब सिक्कों में छेद नहीं किये जाते थे…...
अप्रिय विचार अप्रिय भावनाएं लाते हैं–अप्रिय भावनाएं तुम्हें भगवान् से दूर ले जाती हैं और तुम्हें उस शैतान के हाथों में निःशस्त्र फेंक देती हैं...
साहस और प्रेम ही अनिवार्य गुण हैं; और यह सब गुण यदि धुँधले या निस्टेज पड़ जायें फिर भी ये दोनों आत्मा को जीवित रखेंगे।...
तुम्हारी चेतना की गहराइयों में तुम्हारे अंदर रहने वाले भगवान का मंदिर, तुम्हारा चैत्य पुरुष है। यही वह केंद्र है जिसके चारों ओर तुम्हारी सत्ता...
जो श्रद्धा वैश्व भगवान के प्रति जाती है वह लीला की आवश्यकताओं के कारण अपनी क्रियाशक्ति में सीमित रहती है । इन सीमाओं से पूरी...
तुम सोचते हो कि तुम्हें जो पाठशाला भेजा जाता है और तुमसे जो वहाँ अभ्यास करवाये जाते हैं, यह सब तुम्हें तंग करने में मज़ा...
भगवान मुझसे क्या चाहते है ? वे चाहते है कि पहले तुम अपने-आपको पा लो, कि तुम अपनी सच्ची सत्ता, अपनी चैत्य सत्ता के द्वारा...
हे समस्त वरदानों के परम वितरक, तुझे, जो इस जीवन को शुद्ध, सुन्दर और शुभ बना कर उसे औचित्य प्रदान करता है, तुझे, हे हमारी नियति...
जीवनयात्रा में समस्त भय, संकट और विपदा का सामना करने के लिए कवच के रूप में तुम्हारे पास केवल दो ही चीजों का होना आवश्यक...
प्रभो, मेरे विचार की निद्रालुता को तू झाड़ फेंकेगा ताकि मैं ज्ञान पा सकू और उस अनुभव को समझ सकूँ जो तूने मेरी सत्ता को...