
ज्योतिर्मय वातावरण
…. जब तुम अच्छे हो, जब तुम उदार हो, महान, निःस्वार्थ और परोपकारी हो तो तुम अपने अन्दर, अपने चारों ओर एक वातावरण उत्पन्न करते...
…. जब तुम अच्छे हो, जब तुम उदार हो, महान, निःस्वार्थ और परोपकारी हो तो तुम अपने अन्दर, अपने चारों ओर एक वातावरण उत्पन्न करते...
शान्ति, समस्त भू पर शान्ति! वर दे कि सभी सामान्य चेतना से बच निकलें और जड़-भौतिक वस्तुओं के लिए आसक्ति से मुक्ति पा लें; वर...
माताजी, मैं जानना चाहूंगा कि क्या मैं काम में अपने-आपको समर्पण कर पाने के बिन्दु तक पहुंच गया हूं? मुझे नहीं लगता। मैं ऐसी मनोवृत्ति...
… चैत्य अग्नि को कैसे प्रज्वलित किया जाये? अभीप्सा के द्वारा। प्रगति करने के संकल्प के द्वारा, पूर्णता-प्राप्ति की उत्कण्ठा के द्वारा। सबसे बढ़ कर,...
. . . जब तुम्हें लगे कि पूरी तरह किसी संकरे, सीमित विचार, इच्छा और चेतना में बंद हो, जब तुम्हें ऐसा लगे कि तुम...
बाहरी दिखावों से निर्णय न करो और लोग जो कहते हैं उस पर विश्वास न करो, क्योंकि ये दोनों चीजें भटकाने वाली हैं। लेकिन अगर...
माताजी, क्या यह सच नहीं है कि पुत्र अपने पिता की सेवा करने के लिए बाध्य है ? एकमात्र उसी को – जिसने स्वयं को...
क्या कोई डर के कारण बीमार हो सकता है? हां। मैं एक आदमी को जानती थी जो इतना अधिक डरा हुआ था कि उसे हैजा...
अपने मन को पूरी तरह अपनी कठिनाई से मोड़ लो और पूरी तरह ऊपर से आने वाली ज्योति और शक्ति पर केंद्रित रहो और भगवान...
तर्क-शास्त्र का कार्य एक विचार से दूसरे विचार पर और एक तथ्य से उसके परिणामों पर सही निष्कर्ष से पहुंचना है। किन्तु स्वयं इसके अन्दर...