श्री माँ के वचन

यादें

हमें यादों से इतना स्नेह होता है क्योंकि वे सार्वभौमिक हैं। उनके अन्दर 'अनन्तता' के रस का कुछ अंश होता…

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कभी-कभी

कभी-कभी मनुष्य को न जानना भी जानना चाहिए। संदर्भ: श्रीमाँ का एजेंडा (भाग-१)

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न कुछ शुभ,न कुछ अशुभ

किसी भी ग़लत गति को भूमिगत की जगह उसे निवेदित कर देना चाहिये। उस चीज़ को, स्वयं उस गति को…

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पथ पर डटे रहो

तुम सभी, मेरे बच्चो, मैं तुमसे यह कह सकती हूँ, मैंने यह कई बार दोहराया है और एक बार फिर…

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योग के लिए आना

जीवन से और लोगों से घृणा और विरक्ति के कारण इस योग के लिए नहीं आना चाहिये। कठिनाइयों से भाग…

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गर्व को त्यागने का तरीका

भगवान् के प्रति पूर्ण आत्मदान के लिए तीन विशेष विधियां : १. सारे गर्व को त्याग कर पूर्ण नम्रता के…

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ज्ञान और बुद्धि

मधुर माँ,  ज्ञान और बुद्धि क्या हैं ? क्या हमारे जीवन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है ? ज्ञान और बुद्धि…

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अहंकार का खेल

अहंकार के खेल के बिना कोई संघर्ष न होंगे और अगर प्राण में नाटक करने की वृत्ति न हो तो…

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अपना चुनाव एकबारगी कर लो

१. कोई महत्त्वाकांक्षा न रखो, और सबसे बढ़कर यह कि किसी चीज का दिखावा न करो, हर क्षण, तुम अधिक-से-अधिक…

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निश्चिति

हर एक को अपनी निश्चिति अपने ही अन्दर खोजनी चाहिये, सब चीजों के बावजूद इसे बनाये, सम्भाले रखना चाहिये और…

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