श्रीअरविंद के वचन

अवतार का बाहरी कार्य

यह जगत जिस संघर्ष की रंगभूमि है गीता उसके दो पहलुओं पर जोर देती है, एक है आन्तरिक संघर्ष, दूसरा…

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अचंचल मन का अर्थ

अचंचल मन का अर्थ यह नही है कि उसमें कोई विचार या मनोमय गतियाँ एक- दम होगी ही नही, बल्कि…

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श्रद्धावान् लभते ज्ञानम,

... इस ज्ञान को प्राप्त करने के लिए हमारे अन्दर ऐसी श्रद्धा होनी चाहिये जिसे कोई भी बौद्धिक सन्देह विचलित…

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बातचीत के दौरान ध्यान रखने वाली बातें

... इन परिवेशों में और इस तरह की बातचीत के दौरान जो चैत्य आत्म-संयम वाञ्छनीय है उसमें दूसरी चीज़ों के…

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सच्चा सत्य

जैसे ही मनुष्य को यह विश्वास हो जाये कि एक जीवन्त और वास्तविक 'सत्य' इस यथार्थ जगत् में व्यक्त होने…

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मनुष्य की सभी समस्याओं का उत्तर

सब कुछ बदल जाये यदि किसी तरह मनुष्य एक बार आध्यात्मिक बनने के लिए राजी हो सके । परन्तु उसकी…

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कौन सा व्यक्तिगत प्रयास

श्रीमाँ को अपने अंदर कार्य करने देने के लिए मुझे कौन सा व्यक्तिगत प्रयास करने की आवश्यकता है ? आवश्यकता…

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आन्तरिक मनोवृत्ति

साधक को हमेशा यह याद रखना चाहिये कि प्रत्येक वस्तु आन्तरिक मनोवृत्ति पर निर्भर करती है; यदि उसे भागवत कृपा…

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आध्यात्मिक प्रगति

आध्यात्मिक प्रगति बाह्य परिस्थितियों पर निर्भर नहीं करती, जैसी कि हम आन्तरिक रूप से परिस्थितियों के बारे में प्रतिक्रिया करते…

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भागवत करुणा और न्याय का कठघरा

भूल या सजा देने का कोई प्रश्न ही नहीं है-अगर लोगों को हम उनकी भूलों के लिए अपराधी ठहरायें या…

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