भागवत कृपा में श्रद्धा
तुम्हें हमेशा पूरी-पूरी सहायता दी जाती है, लेकिन तुम्हें उसे अपने बाहरी साधनों द्वारा नहीं बल्कि अपने हृदय की नीरवता में ग्रहण करना सीखना होगा।...
तुम्हें हमेशा पूरी-पूरी सहायता दी जाती है, लेकिन तुम्हें उसे अपने बाहरी साधनों द्वारा नहीं बल्कि अपने हृदय की नीरवता में ग्रहण करना सीखना होगा।...
ये दो चीज़ें एकदम अनिवार्य है : सहनशक्ति और एक ऐसी श्रद्धा जिसे कोई भी चीज डिगा न सके, संपूर्ण प्रतीत होने वाला निषेध भी...
साधक : “उच्चतर चेतना में उठने या उस तक छलांग लगाने के लिए क्या किया जाये ? “ श्रीमाँ : वहाँ तक पहुँचने का सबसे...
तुम जो कुछ भी करो वह उपयोगी हो उठता है यदि तुम उसमें सत्य-चेतना की एक चिंगारी रख दो। तुम जो कर्म करते हो उसकी...
जो लोग अंधकार और मिथ्यात्व की शक्तियों पर ‘सत्य’ की ज्योति के विजयी होने मे सहायता करना चाहते हैं वे अपनी गतिविधि और क्रिया को...
यदि व्यक्ति कष्ट का साहस, सहिष्णुता और भागवत कृपा में अडिग विश्वास के साथ सामना कर सके और जब कभी कष्ट आये तो उससे बचते...
अगर तुम तकलीफ के बारे में सोचते ही रहोगे तो वह बढ़ती चली जायेगी । अगर तुम उस पर केन्द्रित हुए तो वह फूल उठेगी, उसे...
सहनशीलता तुम्हारा आदर्श वाक्य हो : अपनी जीवनी शक्ति को अपनी प्राण – सत्ता को – यह सिखाओ कि शिकायतें किये बिना महान् उपलब्धि के...
भगवान् भले ही तुम्हारी ओर झुक आयें परन्तु ‘उन्हें ‘ ठीक तरह समझने के लिए तुम्हें ‘उन’ तक उठना होगा । संदर्भ : माताजी के वचन...
अगर तुम सचमुच कुछ भला करना चाहते हो तो सबसे अच्छी चीज़ जो तुम कर सकते हो वह यह है कि एक के बाद एक...