श्री माँ

कथनी नहीं

कथनी नहीं - करनी । संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)

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काम करने का सही तरीक़ा

काम में व्यवस्था और सामंजस्य होने चाहियें। जो काम यूँ देखने में बिलकुल नगण्य हो उसे भी पूर्ण पूर्णता के…

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भगवान के प्रति उत्सर्ग

मधुर माँ,     आपने बहुत बार कहा है कि हमारे क्रिया-कलाप भगवान के प्रति उत्सर्ग होने चाहियें । इसका…

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श्रीअरविंद का शरीर

जब मैंने उनसे (८ दिसम्बर १९५०) को अपने शरीर को पुनर्जीवित करने के लिए कहा, तो उन्होने स्पष्ट उत्तर दिया…

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रात की यादें

यदि मस्तिष्क सर्वदा काम करता रहता है तो रात भर में जो कुछ घटित होता है वह हमें क्यों नहीं…

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मन की कट्टरता

आध्यात्मिक भाव पूजा, भक्ति और निवेदन के धार्मिक भाव के विपरीत नहीं है, धर्म में जो गलत है वह है…

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श्रीअरविंद की उपस्थिती

श्रीअरविंद निरंतर हमारे साथ हैं और जो लोग उन्हें देखने और सुनने के लिए तैयार हैं उनके आगे अपने -…

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परात्पर भगवान

जो श्रद्धा वैश्व भगवान के प्रति जाती है वह लीला की आवश्यकताओं के कारण अपनी क्रियाशक्ति में सीमित रहती है।…

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