श्री माँ

जीवन का एक लघु आकार

साधक को क्या होना चाहिये इसके बारे में मैं तुम्हारे भावों की क़दर करती हूँ और उस दृष्टिकोण से, तुम…

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स्वर्णिम प्रकाश : श्रीअरविंद की कविता

तेरे स्वर्णिम प्रकाश का मेरे मस्तिष्क में हुआ अवतरण और मन के धुंधले कक्ष हो गये सूर्यायित प्रज्ञा के तान्त्रिक…

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आज्ञापालन

माताजी, मैं जानना चाहूंगा कि क्या मैं काम में अपने-आपको समर्पण कर पाने के बिन्दु तक पहुंच गया हूं? मुझे…

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चैत्य अग्नि

... चैत्य अग्नि को कैसे प्रज्वलित किया जाये? अभीप्सा के द्वारा। प्रगति करने के संकल्प के द्वारा, पूर्णता-प्राप्ति की उत्कण्ठा…

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शान्ति

शान्ति, समस्त भू पर शान्ति! वर दे कि सभी सामान्य चेतना से बच निकलें और जड़-भौतिक वस्तुओं के लिए आसक्ति…

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हर क्षण नवीन

हर क्षण सभी अनपेक्षित, अप्रत्याशित और अज्ञात हमारे सामने होता है, हर क्षण विश्व अपने प्रत्येक भाग में और अपनी…

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ग्रहणशीलता

इस योग में सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि तुम प्रभाव के प्रति खुल सकते हो या…

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डर के कारण बीमारी

क्या कोई डर के कारण बीमार हो सकता है? हां। मैं एक आदमी को जानती थी जो इतना अधिक डरा…

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यही उपचार

अपने मन को पूरी तरह अपनी कठिनाई से मोड़ लो और पूरी तरह ऊपर से आने वाली ज्योति और शक्ति…

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सत्य का सबसे बुरा शत्रु

तर्क-शास्त्र का कार्य एक विचार से दूसरे विचार पर और एक तथ्य से उसके परिणामों पर सही निष्कर्ष से पहुंचना…

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