आपने कहा है, “हमेशा इस प्रकार व्यवहार करो मानों श्रीमां तुम्हारी और ताक रही हों; क्योंकि वह, सचमुच, हमेशा उपस्थित…
बस तुम्हारा काम है अभीप्सा करना, अपने-आपको श्रीमां की ओर खुला रखना, जो भी चीजें उनकी इच्छा के विरुद्ध हैं…
(किसी की मृत्यु पर) जो हो चुका है उसे अब तुम्हें यह मान कर बहुत शान्ति से स्वीकारना होगा कि…
जब एक बार चेतनाएं एकाकी चेतना से पृथक् हो गयीं तब अवश्यम्भावी रूप से वे अज्ञान में गिर गयीं, और…
मानव का जीवन एक दीर्घ धूमिल मन्द तैयारी है, कठिन श्रम और आशा एवं युद्ध-शान्ति का घूमता क्रम है। जिसे…
हमारी पहली आवश्यकता श्रद्धा है; क्योंकि भगवान् में, जगत् में और सबसे महत्त्वपूर्ण यह कि भागवत परम सत्ता में श्रद्धा…
अतिमानव कौन है? वह जो इस जड़ाभिमुखी भग्न मनोमय मानव सत्ता से ऊपर उठ सके तथा एक दिव्य शक्ति, एक…
भगवान के सामने या दूसरों के सामने अपनी कमज़ोरियाँ स्वीकार करना क्या सच्चाई की निशानी है? दूसरों के सामने क्यों?…
इस योग की साधना का कोई बँधा हुआ मानसिक अभ्यासक्रम या ध्यान का कोई निश्चित प्रकार अथवा कोई मंत्र या…