श्रीअरविंद

दुःख के स्तर

भगवान हमें जो दु:ख देता हैं उसके चार स्तर होते हैं : (१) जब वह केवल दु:ख ही होता है…

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भगवान की परीक्षा

भगवान जब बुरी-से-बुरी परीक्षा लेते हैं तब वह अच्छे-से-अच्छा पथ दिखाते हैं, जब वह कठोरतापूर्वक दण्ड देते है तब वह…

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आखिर कब ?

इन मायावी वनों में एक देवशिशु खेल रहा है, आत्मभाव की धाराओ के तट पर बंशी बजाता रसमाधुरी बहा रहा…

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अहंकारी भावना

स्वाभाविक है कि महानतर अनुभूतियाँ होने पर सत्ता उल्लासित हो उठती है, साथ-ही-साथ उसमें अद्भुतता तथा चमत्कार का भाव भी…

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आत्मसमर्पण

एक बच्चे की तरह बन जाना और अपने-आपको संपूर्णत: दे देना तब तक असंभव है, जब तक कि चैत्य पुरुष…

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तुम्हारा लक्ष्य

भगवान ने तुम्हें इसलिए अपना नहीं बनाया है कि तुम मनुष्यों की प्रशंसाओं को एकत्र करो, बल्कि इसलिये बनाया है…

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बुरे स्वप्नों का इलाज़

नींद में प्राय: मुझे प्राण जगत के बुरे स्वप्न आते हैं। उन्हें कैसे रोका जाये ? अपनी जाग्रत अवस्था में…

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आध्यात्मिक स्वप्न

जब किसी साधक को आध्यात्मिक सत्य के स्वप्न आते हैं तो क्या इसका यह अर्थ नहीं होता कि उसकी प्रकृति…

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संभावना

जो लोग पूरी तरह सांसारिक जीवन में फंसे रहते हैं और कठिनाई या विपत्ति के समय ही भगवान को याद…

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अपना वातावरण

... परिवेश का निश्चय ही व्यक्ति पर प्रभाव पड़ता है... यही कारण है कि तुम जहां रहो वहाँ अपना एक…

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