जब तुम भौतिक जीवन की कोई चीज़ बदलना चाहो, चाहे वह चरित्र हो या अंगों की संचालन-क्रिया हो या आदतें,…
जैसे ही किसी अभिव्यक्ति से समस्त प्रयास लुप्त हो जाता है, सारी चीज़ बहुत सरल हो जाती है, खिलते हुए…
भगवान ही अधिपति और प्रभु हैं - आत्म-सत्ता निष्क्रिय है, यह सर्वदा शांत साक्षी बनी रहती है और सभी वस्तुओं…
एक सामान्य नियम के रूप में ज्यादा अच्छा यह है कि जो चीजें तुम्हारे काम से सम्बन्धित नहीं हैं उनमें…
यह पृथ्वी तब तक सजीव और स्थायी शांति का उपभोग नहीं कर सकतीं जब तक मनुष्य अपने अन्तर्राष्ट्रीय व्यवहारों में…
१. बुद्ध और शंकर के मत: जगत् एक भ्रम है, वह अज्ञान के कारण, अज्ञान और दुःख का क्षेत्र है।…
क्या काल्पनिक कहानियों का कोई मूल्य नहीं होता? यह निर्भर करता है कल्पना के स्वरूप पर। यदि तुम यह कहो…
कोई भी व्यक्ति अपनी चेतना को मानसिक और प्राणिक स्तर से ऊपर उठा सकता है और ऊपर से शक्ति, आनंद,…
क्या आपके कार्य तथा श्रीमाँ के कार्य में कोई अन्तर है - मेरा मतलब है कि शक्ति की प्रभावकारिता में…