यदि व्यक्ति श्रीकृष्ण को पाना चाहता है, तो वह उन्हें पा लेता है किन्तु वे ऐसे देव हैं जो बड़ी…
तुम्हारी आन्तरिक अवस्था रोग का कारण तब बनती है जब उसमें कोई प्रतिरोध या विद्रोह हो अथवा जब तुम्हारे अन्दर…
श्रीअरविंद कहते हैं कि तुम्हे सबसे पहले अपने विषय में सचेतन होना चाहिये, फिर सोचना, और फिर कार्य करना चाहिये।…
१९१९ में श्रीअरविंद ने लिखा था कि अस्तव्यसत्ता और विपत्तियाँ शायद एक नयी सृष्टि की प्रसव-वेदना हैं। यह स्थिति कब…
... सबसे बढ़ कर आवश्यक गुण है लगन, सहिष्णुता, और... उसे क्या नाम दें? एक प्रकार का आन्तरिक प्रसन्न-भाव जो…
भगवान स्वयं मार्ग पर चल कर मनुष्यों को राह दिखाने के लिए मनुष्य का रूप धारण करते हैं और बाहरी…
चैत्य पुरुष उन सबके लिए,जो आध्यात्मिक मार्ग के लिए बनें हैं, समान कार्य करता है - योग का अनुगमन करने…
सभी परिस्थितियों में मुस्कुराना जानना भागवत प्रज्ञा की ओर जाने का सबसे शीघ्रगामी रास्ता है। अहंकार नाराज और बेचैन हो…
मधुर माँ, आपने मुझे आशीर्वाद दिया है कि मैं सत्य-जीवन में जन्म लूँ, लेकिन ऐसा जन्म लेने कि…