नींद में प्राय: मुझे प्राण जगत के बुरे स्वप्न आते हैं। उन्हें कैसे रोका जाये ? अपनी जाग्रत अवस्था में…
जब किसी साधक को आध्यात्मिक सत्य के स्वप्न आते हैं तो क्या इसका यह अर्थ नहीं होता कि उसकी प्रकृति…
जो लोग पूरी तरह सांसारिक जीवन में फंसे रहते हैं और कठिनाई या विपत्ति के समय ही भगवान को याद…
हर हालत में अपने गुरु के प्रति निष्ठावान बने रहो, वे चाहे कोई भी क्यों न हों; तुम जितनी दूर…
... परिवेश का निश्चय ही व्यक्ति पर प्रभाव पड़ता है... यही कारण है कि तुम जहां रहो वहाँ अपना एक…
मेरी निम्न प्रकृति वही मूर्खतापूर्ण चीज़ें करती चली जा रही है । केवल आप ही उसे बदल सकती है। 'आपकी…
भगवान हृदय में देखते हैं और जब समझते हैं कि अब ठीक समय आ गया है, तब पर्दा हटा देते…
यह समझो कि तुम्हारा जीवन तुम्हें केवल भागवत कर्म के लिए और भागवत अभिव्यक्ति में सहायता देने के लिए दिया…
मैं तुम सबमें द्वार खोलने के लिए पूरा ध्यान देती हूँ, ताकि अगर तुम्हारें अंदर एकाग्रता की जरा भी गति…
आपने लिखा था, "काम में रस होना चाहिये। " लेकिन मैं पूर्ण रस या मजा नहीं ले पाता। कार्य की…