कोशिकाओं का सहारा

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मैं कह सकती हूँ कि देह के कोषों को अपना सहारा, अपना आधार सिर्फ़ 'दिव्यता' में खोजना होगा, तब तक…

अनुभूति खोने का डर

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बहुधा हम उस चीज से चिपके रहते हैं जो थी, हमें पिछली अनुभूति के परिणाम को खोने का डर रहता…

मार्गदर्शन

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मार्गदर्शक स्वयं तुम्हारें अपने अन्दर है। यदि तुम केवल 'उसे' पा सको और 'उसकी' आवाज़ सुन सको, तब तुम यह…

हमारी कोशिश

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संसार दुःख-दर्द और कष्टों से भरा है। हमें कोशिश करनी चाहिये कि कभी किसी के दुःख-दर्द को बढ़ाने वाले न…

प्रार्थना

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मेरी अभीप्सा  तेरी ओर उठ रही है, अपने रूप में सदा वैसी ही बचकानी, अपनी सरलता में अतिसामान्य, लेकिन मेरी…

भारत की भूमिका

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वर्तमान राजनीति में भारत को क्या कोई विशेष भूमिका निभानी है ? ... भारत को जगत में एक भूमिका निभानी…

स्थिरता और तमस

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स्थिरता और तमस में घपला मत करो। स्थिरता है, आत्म-संयत शक्ति, अचंचल और सचेतन ऊर्जा, आवेशों पर प्रभुत्व और अचेतन…

दुनिया की ग़लतियाँ?

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जब तक तुम्हारें अन्दर धरती को बदलने की शक्ति न हो  तब तक यह कहना बेकार है कि दुनिया ठीक…

बातचीत से अवसन्नता

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दूसरे व्यक्ति के साथ बात करके अवसन्न हो जाना किसी व्यक्ति के लिये बिलकुल संभव है। बातचीत करनेका अर्थ है…