श्रेणियाँ श्री माँ के वचन

हीनभावना का इलाज

मधुर माँ ,

एक  लम्बे अरसे से मैं देख रहा हूँ कि मैं कुछ लजीला-सा हूं । मेरे अन्दर हीन-भावना है । मेरा ख्याल है कि मुझे डर रहता है कि लोग मेरे अज्ञान को जान जायेंगे । मैं ऐसा क्यों हूं ? मैं इसमें से कैसे बाहर निकाल सकता हूं ?

इन सबके और इस विख्यात हीनता-ग्रंथि के पीछे होता है अहंकार और उसका दम्भ जो अपना अच्छा रूप दिखाना चाहता है और औरों से प्रशंसा चाहता है ; लेकिन अगर तुम्हारा समस्त क्रिया-कलाप भगवान के प्रति उत्सर्ग हो तो तुम औरों की प्रशंसा की जरा भी परवाह न करोगे।

संदर्भ :  माताजी के पत्र (भाग – १६)

शेयर कीजिये

नए आलेख

रूपांतर का मार्ग

भगवान के प्रति आज्ञाकारिता में सरलता के साथ सच्चे रहो - यह तुम्हें रूपांतर के…

% दिन पहले

सच्चा ध्यान

सच्चा ध्यान क्या है ? वह भागवत उपस्थिती पर संकल्प के साथ सक्रिय रूप से…

% दिन पहले

भगवान से दूरी ?

स्वयं मुझे यह अनुभव है कि तुम शारीरिक रूप से, अपने हाथों से काम करते…

% दिन पहले

कार्य के प्रति मनोभाव

अधिकतर लोग कार्यों को इसलिये करते हैं कि वे उन्हें करने पड़ते है, इसलिये नहीं…

% दिन पहले

चेतना का परिवर्तन

मधुर माँ, जब श्रीअरविंद चेतना के परिवर्तन की बात करते हैं तो उनका अर्थ क्या…

% दिन पहले

जीवन उत्सव

यदि सचमुच में हम, ठीक से जान सकें जीवन के उत्सव के हर विवरण को,…

% दिन पहले