हमारी भूल यह हुई है और बराबर ही रही है कि हम अज्ञानी जीवन की बुराइयों से बचने के लिये एक उपाय के रूप में सन्यास को ग्रहण करते हैं तथा सन्यास की बुराइयों से बचने के लिये फिर अज्ञान के जीवन की ओर लौट आते हैं । हम निरन्तर इन दो मिथ्या विरोधियों के बीच झूला करते है ।
संदर्भ : विचारमाला और सूत्रावली
भगवान मुझसे क्या चाहते हैं ? वे चाहते हैं कि पहले तुम अपने-आपको पा लो,…
सूर्यालोकित पथ का ऐसे लोग ही अनुसरण कर सकते हैं जिनमें समर्पण की साधना करने…
एक चीज़ के बारे में तुम निश्चित हो सकते हो - तुम्हारा भविष्य तुम्हारें ही…
सभी खिन्नता और विषाद को विरोधी शक्तियाँ ही पैदा करती हैं, उन्हें तुम्हारें ऊपर उदासी…