हमारी भूल यह हुई है और बराबर ही रही है कि हम अज्ञानी जीवन की बुराइयों से बचने के लिये एक उपाय के रूप में सन्यास को ग्रहण करते हैं तथा सन्यास की बुराइयों से बचने के लिये फिर अज्ञान के जीवन की ओर लौट आते हैं । हम निरन्तर इन दो मिथ्या विरोधियों के बीच झूला करते है ।

संदर्भ : विचारमाला और सूत्रावली

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