हमारी कोशिश


श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ

संसार दुःख-दर्द और कष्टों से भरा है।

हमें कोशिश करनी चाहिये कि कभी किसी के दुःख-दर्द को बढ़ाने वाले न बनें।

संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)


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